इस्लाम और आध्यत्मिक आतंकवाद


मौलवी - इस मुल्क में मुसलमानों के हर चीज पर कब्जा हो रहा है। हर चीज़ पर, मस्जिद, मदरसे, दरगाह और तो औऱ कब्रिस्तानो तक को भी नही छोड़ा इन्होंने। अगर तुमलोग ऐसे ही खामोश औऱ चुपचाप बैठे रहे तो एक दिन ऐसा होगा कि, तुम लोगों को भी उठा के ले जाएंगे। औऱ बोलेंगे, क्या बोलेंगे, ऐ मियाँ इधर आओ, तुम्हारे बाप-दादा हिन्दू थे, तुम भी हिन्दू हो, मूर्ति पूजा करो, भजन गाओ, श्लोक पढ़ो। साजिश है ये, तुमको मिटाने की साजिश है ये।

पत्रकार - मौलाना साहब, एक मिनट, माफ कीजियेगा। यहां ऐसा कुछ नही हो रहा है।  आप बाहर से आये हो ना, इसलिए यहां के प्रॉब्लम के बारे में जानते नही हो, मेहरबानी करके ऐसे भड़काने वाले भाषण ना दीजिए।

मौलवी - मुसलमानों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है, सोचा कभी, गौर किया है कभी, क्यों हो रहा ऐसा मुसलमानों के साथ?  क्योंकि गाँव मे मस्जिदें खाली पड़ी है, नमाज़ के वक्त मस्ज़िद में कोई दिखाई नही देता। मुसलमान अल्लाह को भूल गए, नमाज़-रोजा भूल गए, मजहब को भूल गए। भटक गए मुसलमान। मुसलमान औरतें बेपर्दा घूम रही हैं। अरे मुसलमानों की कुर्बानियों को याद करो, क्या थे मुसलमान और क्या हो गए मुसलमान। मुसलमानों के घरों में गाना, बजाना, नाच हो रहा है। गाने वाले मुसलमान, बजाने वाले मुसलमान और नाचने वाले मुसलमान। शराब पी रहे है मुसलमान, शराब बेच रहे हैं मुसलमान। कयामत, कयामत की निशानी है ये, जो मैदान में ग़ाज़ी औऱ वजीहत में नमाज़ी होता है, वो होता है सच्चा मुसलमान। ईमानवालों, अपने आपको बचा के रखो, उनके दिलों में दशहत पैदा करो जो अल्लाह के दुश्मन है, जो तुम्हारे दुश्मन है। जंग करो-जिहाद करो!!


पत्रकार: मौलाना साहब, यहाँ की ज़िंदगी को बेहतर बनाने की बातें बोलों, क्यों यहां-वहाँ की बातों को तोड़-मरोड़कर इन मासूम लोगों को भड़का रहे हो। जो मजहब इंसानियत, अमन, गरीब और कमजोर के हक़ की बात करता है, उसका ये हाल कर रहे हो, आपको जरा भी शर्म नही आती।

मौलवी - ये दरगाह और मज़ार में माथा टेकने वोलों को निकालो बाहर, ऐसे ही लोग इस्लाम के दुश्मन है, ये दुश्मन से अमन की बात करता है।

वॉलिंटियर् “गुस्से में”- चुप रह, ज्यादा शायना मत बन, तू उधर रहता है ना, हिन्दू की बस्ती में, उधर रह, हमें अक्ल ना सीखा।  जब फसाद होती है ना तो अपने ही मौहल्ले में आता है, जान बचाने को।  डरपोक....! क्या इस्लाम-इस्लाम चल रहा है तेरा औऱ तेरा क्या वास्ता है मुसलमानों से, चल निकल यहां से।

मौलवी - इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन ऐसे ही मुसलमान है, अमन की बात करते हैं, डराते हैं, दुश्मन से अमन के बातें। डरते हो, मौत से डरते हो। अरे दुनिया से इतना लगाव अच्छा नही है, मौत के बाद जन्नत की सोचों, वहाँ तूम्हारे लिए सत्तर हुरें होंगीं। कितनी .....

वॉलिंटियर् -   .....सतरह

मौलवी - अरे सतरह नही, सत्तर! सेवेंटी। सेवेंटी हुरें होंगी और यहाँ तो तुम मैली-कुचैली बीवियों को पाकर अल्लाह को भूल जाते हो। और फिर रंडियों, खच्चरों, तबायफ़ों के तस्वीरों और फिल्मों देखने में अपना वक्त जाया कर देते हो, खुश हो जाते हो, अरे भाई, इस दुनिया से उतना ही दिल लगाओ, जितना जरूरी है, बाकी बस उस ज़न्नत के बारे में सोचो, उस ज़न्नत को हासिल करने की सोचों। अल्लाह-ताला आप सबको ज़न्नत नसीब करे!

सुदेश कुमार
hindi.sudeshkumar.com



Note: This is edited version of a Low budget Hindi Movie script.

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