हम जो कुछ भी करते हैं उसके लिए सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव ही काफी नहीं है। दुनिया में बहुत से लोग शाकाहारी हैं क्योंकि वे किसी परंपरा, आस्था और संस्कृति का पालन करते हैं। इसलिए अगर हर धर्म में सुझाए गए भोजन विकल्पों को समय के साथ अपडेट किया जाए तो यह सभी के लिए एक बड़ा बदलाव होगा। आप कल्पना कर सकते हैं ऐसा करने से हमारे समाज में जजमेंटल रवैया बहुत हद तक कम हो जाएगा।
धार्मिक स्वतंत्रता के बहाने प्रतिगामी अनुष्ठानों को रोका जाना चाहिए। किसी जानवर का गला काटना या अप्रत्यक्ष रूप से उसका समर्थन करना या हत्या न रोक पाने के लिए अपने खान-पान या धर्म का बहाना देना किसी व्यक्ति को कसाई की दुकान से जानवर का मांस खरीदने वाले पड़ोसी से भी अधिक क्रूर बना देता है। इस क्रूरता के परिणाम आस-पास रहनें वाले मनुष्यों पर कई अन्य तरीकों से प्रभाव डालते हैं।
अधिकांश युवा इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं और उनमें से कुछ ने व्यक्तिगत रूप से वीगन बनना चुना है उनकी स्वशिक्षा ने उन्हें ऐसा बना दिया और उन्होंने पारंपरिक भोजन विकल्पों से खुद को दूर कर लिया। तो आपको आश्चर्य हो सकता है कि क्या हम भी अपनी परंपराओं और धार्मिक प्रथाओं को बदलने के लिए समान प्रयास कर सकते हैं जिन्हें समय के साथ अपडेट किया जाना चाहिए। लेकिन आपके मन में सवाल आता है कि अगर आप पशु क्रूरता को रोकने (या किसी भी प्रतिगामी प्रथा को बंद करने) के लिए अपने धर्म के खिलाफ बोलेंगे तो आप मुसीबत में पड़ जाएंगे। नहीं, जानवरों की रक्षा के लिए आवाज उठाने से आपको परेशानी नहीं होगी। आप ऐसा करने वाले सिर्फ एक व्यक्ति नहीं हैं। आप पशु क्रूरता के खिलाफ वैश्विक आंदोलन का हिस्सा हैं, जिसे आमतौर पर वीगनइज़्म कहा जाता है। इसके लिए कोई बहाना या आपके अंदर कोई डर नहीं होना चाहिए। यदि आप प्रगतिशील बन कर समाज मे कुछ बदलना चाहते हैं तो निडर होकर आगे बढ़ें।
नोट: यह लेख पहली बार बीटी - एक इंग्लिश न्यूज़ पेपर - अगस्त 2023 में प्रकाशित हुआ है।
प्रो. सुदेश कुमार
- संस्थापक,
पशु बलि रोकने के लिए वैश्विक अभियान