ब्यूटी, पर्सनालिटी और स्टेटस!


मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, ये बात बचपन से सभी को रटाई जाती है पर इसका सही मतलब जिंदगी के उतार-चढ़ाव ही हमें सिखाते हैं। उद्योगिक काल के शुरुवात में आर्थिक रूप से सशक्त देशों ने अपने व्यवसायिक फायदे के अनुसार कई सामाजिक मानक बनाए थे जो कि आज के तकनीकी युग में धीरे-धीरे धरासायी हो रहे हैं। इन सामाजिक मानकों में मुख्य स्थान खूबसूरती, व्यक्तित्व और सामाजिक हैसियत (ब्यूटी, पर्सनालिटी और स्टेटस) की है।
  
मेरे इस लेख के पार्ट-1 में पर्सनालिटी और पार्ट-2 में ब्यूटी के बारे में पढेंगे जो कि पर्सनल ऑब्जरवेशन पर आधारित है। इस तरह के अन्य पोस्ट के लिये मेरे हिन्दी ब्लॉग: hindi.sudeshkumar.com पर लॉगिन करें।


पार्ट:1 

पर्सनालिटी

पर्सनालिटी लैटिन भाषा के पर्सोना शब्द से लिया गया है जिसका मतलब 'चेहरा' या 'नकाब' होता है। हमारे पर्सनालिटी पर उन चंद लोगों का असर ज्यादा पड़ता है जिनके साथ हम अपना सबसे अधिक समय बिताते हैं। ये फ़्रेंड्स, फैमिली एवं जॉब्स से जुड़े लोग हो सकते हैं। इनमें से अगर किसी को भी जब हम अपनी जिंदगी में जरूरत से थोड़ी ज्यादा जगह देते हैं तो पता चलता है कि दोनों लोग एक-दूसरे के व्यक्तित्व का कुछ अंश अपने में आत्मसात कर रहे है।

मनोविज्ञान में टेम्परामेंट थ्योरी के अनुसार व्यक्तित्व अर्थात  पर्सनालिटी मुख्यता चार तरह की होती है।

1. आशावादी (sanguine)
2. चिड़चिड़ा (choleric) 
3. उदास (melancholic) 
4. सुस्त (phlegmatic)

इन चार केटेगरी के अलावा व्यावहारिक रूप से पर्सनालिटी के और भी ढेर सारे रूप हैं। ऐसे में ये जानना जरुरी हो जाता है कि इनमें से ज्यादा टॉक्सिक किस प्रकार के लोग होते हैं और उनसे कितनी दूरी बना के रखनी है। यहाँ हम उन 10 टॉक्सिक प्रकार के लोगों को जानेंगे जिन्हें आपने मैनेज करना सीख लिया तो सुख, शांति और सफलता आपके साथ हमेशा बने रहेंगे।

1. मतलबी: 

ये लोग आप पर अपना सारा गुस्सा ऐसे उतारेंगे जैसे उनके जीवन की सारी प्रॉब्लम की जड़ आप ही हैं। मतलबी लोगों को अपने जीवन से बाहर करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि ये दुनिया में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली प्रजाति है। मतलबी लोग जरुरत पड़ने पर आपको एक मोहरे की तरह इस्तेमाल करने से नहीं चूकते हैं। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इनकी जनसंख्या को अपने कॉन्टेक्ट्स लिस्ट में ज्यादा नही होनी चाहिए।

2. रोतेलू: 

वैसे लोग जो आंशिक डिप्रेशन के कारण हमेशा अपनी छोटी-मोटी प्रॉब्ल्म को लेकर रोते रहते हैं उनसे दूर रहना चाहिए। दिक्कत ये है कि शुरू-शुरू में ऐसे लोगों को पहचानने में दिक्कत होती है और हम उन्हें इमोशनल सपोर्ट देते हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, आपको यह महसूस होने लगता है कि ये अपनी ख़ुशी को ना तो पहचानना जानते हैं ना ही इसे दूसरे के साथ शेयर करना। इनकी डिक्शनरी में कठिन समय का मतलब कुछ सीखना होता ही नहीं है और एक गलती को जिंदगी में बार-बार दोहराते हैं।

3. ईर्ष्याग्रस्त: 

ईर्ष्या करने वाले लोगों को हमेशा ही अपनी एचिवमेंट को दूसरों के मुकाबले नापने और तौलने की आदत होती हैं। ये अपनी आंतरिक खुशी को अपने मन के बाहर तलाशते हैं। इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि जलनखोर लोगों की दुनिया मे कोई कमी नही है। इनके साथ ज्यादा समय बिताना अच्छा नही होता है। ये आपकी छवि को खराब करने वाले सामाजिक वायरस होते है क्योंकि अपने साथ-साथ ये आपको भी खुद की सफलताओं में खुश ना होने का बीमारी देते हैं। ये अपने मकसद को पूरा करने के लिए आम तौर पर जादू-टोना अथवा आपके नजदीकी दुश्मनों का सहारा लेते हैं।

4. स्वार्थी: 

ये लोग किसी भी रिश्ते  की आड़ में आपके जीवन से समय और साधन को बर्बाद करते हैं। कभी-कभी इनसे निपटना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि ये नजदीकी रिश्ते का चोला पहनकर हमारे साथ चिपके होते हैं। इन्हें ये अच्छी तरह से पता होता है कि आप किस चीज से खुश अथवा नाराज़ होंगे पर अंतर सिर्फ इतना ही है कि इन जानकारियों का उपयोग ये अपने गुप्त एजेंडे के लिए करते हैं। अगर आप इनके साथ के अपने रिश्ते को पीछे मुड़कर देखेंगे तो आपने सिर्फ इन्हें दिया ही होगा और उनकी तरफ से आपको कुछ ना के बराबर ही मिला होगा। वो आपका भरोसा जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं ताकि बाद में वो आपको अपने हिसाब से उपयोग कर सकें।

5. क्रिमिनल: 

हमारे समाज में बसे क्रोनिक पिछड़ापन कुछ लोगों को क्रिमिनल ही पैदा करता है। ऐसे लोग खतरनाक और बुरे इरादे वाले होते हैं जो दूसरों को दुख और तकलीफ में देखकर संतुष्टि पाते हैं क्योंकि इनकी जिंदगी की शुरुवात मूलतः नकारात्मक परिस्थितियों में हुई होती है। वो आपकी जिंदगी में आते ही हैं, आपको बुरा महसूस कराने के लिए या फिर आपसे कुछ पाने के लिए प्रताड़ित और ब्लैकमेल करते रहते हैं। इन्हें पहचानना बहुत आसान होता है। 

6. जजमेंटल: 

हमारे विकासशील दुनिया में ये लोग पॉलटिकल स्यूप्रेमॅसि के कारण पनपते हैं। अपने से अलग लोगों से सीखने के बजाए ऐसे लोग उनकी टांग-खिंचाई में लगे रहते है। जजमेंटल लोग अपने बिना सिर-पैर के तर्क देकर अपनी बात मनवाने के लिए जाने जाते है। इनसे बात-विचार करना समय की पूर्ण रूप से बर्बादी है। 

7.  जुनूनी (सेल्फ-ऑब्सेस्ड) : 

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने सेल्फ ऑब्सेस्ड लोगों की जनसंख्या में भारी इजाफा किया है। इनके नजदीक में रहने के बाद आप 24 घंटे काम, पैसे एवम पब्लिसिटी के बारे में सोचते रहते हैं और जिसके कारण ये समाज में एक्टिव रहने के बाद भी एक असामाजिक प्राणी बन कर रह जाते हैं। 

8. एटीट्यूड फैक्ट्री: 

ये सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा संख्या में पाई जाने वाली  सेक्फ-ऑब्सेससेड लोगों की उपप्रजाति है। इस केटेगरी के लोगों की तन-मन-धन बस PR पर समर्पित रहता है। हमारे फिल्मी तथा सेलिब्रिटी समाज इनसे भरे पड़े हैं। अपने एटीट्यूड के कारण इस तरह के लोग हमेशा कई तरह की असुरक्षाओं से घिरे होते हैं। ये हमेशा एक झूठे आत्मविश्वास के शिकार होते हैं औऱ दिखावे की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होते हैं। 

9. चुगलखोर: 

ये लोग अपने को सबका नजदीकी बताते हैं और इधर की बात उधर करने में इन्हें काफी संतुष्टि मिलती है। इनके पेट में कोई बात पचती नहीं है एवम बिचिंग आदत के कारण कभी किसी रिश्ते को नहीं निभा पाते हैं। इनकी पहचान जल्दी हो जाती है और इनसे दूर रहने में ही आपकी भलाई है।

10. निराशावादी: 

निराशावाद के शिकार लोग जो अकसर दूसरों की परेशानियों के बारे में सुनकर खुश होते हैं। शुरू में तो इन्हें किसी की गलती का मजाक बनाने में मजा आता है लेकिन बाद में ये पकाऊ श्रेणी में आ जाते हैं। इन्हें सामने वाले की भावनाओं की समझ बहुत कम होती है और जाने-अनजाने इनकी बातें आपके दिल को ठेस भी पहुँचा सकती हैं।

सुदेश कुमार

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