मंदिरों के मनमानी मामले में भगवान से साक्षात्कार


पत्रकार:
हमने सुना है आप हर जगह मौजूद हैं ?

भगवान:
यह सत्य है कि मैं कण-कण में विराजमान हूँ।

पत्रकार:
क्या आपका कोई रूप या आकार नहीं है ?

भगवान:
भूमि, गगन, वायु, नीर, अग्नि यही मेरा अस्तित्व है। मैं इसी में निवास करता हूँ।

पत्रकार:
फ़िर सभी लोग आपको मंदिरों में ही क्यों खोजते हैं?

भगवान:
धर्म के ठेकेदारों नें अपना धँधा चलाने के लिये मेरी मूर्ति बनाकर मंदिरों में रख दिया है और बहुत सारे लोग अज्ञानवश हमारी मूर्तियों को ही भगवान समझते है।

पत्रकार:
फ़िर आप तो भगवान हैं आप अपने भक्तों को समझाते क्यों नहीं?

भगवान:
मैंने बहुत कोशिश की किंतु ये धर्म के ठेकेदार और इनके चमचों ने अपने फायदे के लिये लोगों को गुमराह करके रखा हुआ है। मेरे मूर्तियों को रात होते हीं बँद कर देते हैं और सुबह होते हीं अपनी दुकान चलाने के लिये गेट खोलकर बैठ जाते हैं और दिन भर उगाही करते रहते हैं।

पत्रकार:
ये तो आप पर सरासर अन्याय है। धूर्त लोगों ने धर्म के ठेकेदार बनकर आपको भी कमाई का जरिया बनाया हुआ है। आप किसी अच्छे से वकील की सहायता क्यों नहीं लेते?

भगवान:
कुछ वकीलों नें भी बहुत प्रयास किया था और उन्होंने अपनी तर्कशीलता से लोगों को भी समझाया भी। इसके लिए फिल्में भी बनायी लेकिन ये बेवकूफ जनता जिन्हें धर्म के ठेकेदार लोग अपना जागिर समझतें हैं ये सारे के सारे अंधभक्त निकले।

पत्रकार:
तो क्या आपको हमेशा लोग मदिरों में ही खोजते रहेंगें?

भगवान:
जिस दिन लोग यह समझ जायेंगे की ज्यादातर मंदिरों के माध्यम से चलायी जा रही सारा पाखंड व्यवस्था एक चाल है उस दिन मुझे खुशी मिलेगी।

पत्रकार:
तो क्या आप लोगों को कुछ संदेश देना चाहेंगे?

भगवान:
मेरा लोगों को यही संदेश है कि वे अपने आस्था को किसी धर्म के ठेकेदार द्वारा बिकने न दें। अगर किसी भी मंदिर में जाएं तो आस्था में अवलीन होने के बाद बेवकूफ न बनें तथा अपने बुद्धि का प्रयोग करना न भूलें। मंदिरों में मेरे नाम पर चढ़ाये गये खाने-पीने की सामग्री एवम पैसे-सोना -चाँदी का लाभ धर्म के ठेकेदार और इनके चेले-चपाटे ले रहे है। जिस दिन सभी लोग सुशिक्षित हो जायेंगे मुझे वो अपने नज़दीक पायेंगे। मुझे खोंजने के लिए उन्हें कहीं बाहर भटकना नही पड़ेगा।


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सुदेश कुमार

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