ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों का आरोप है कि इन राज्यों से ज्यादातर लोग काम करने और किसी भी तरह से वहाँ बसने के लिए जाते हैं! शुक्र है कि राजधानी होने के कारण दिल्ली प्रतिबंध से बची हुई है। उन्हें क्लास रूम आधारित किताबी शिक्षा में बिल्कुल भी रुचि नहीं है। आख़िरकार यह सही मायनों में कोई किताबी शिक्षा नहीं बल्कि व्यवसाय का एक तरीका है। और ये सारी बातें काफी हद तक सच भी हैं। लोग संपन्न देशों में बसने के लिए ऐसी शिक्षा खरीदते हैं लेकिन यह दूसरे रूपों में मध्यम वर्ग की गरीबी का चेहरा है.. ऑस्ट्रेलिया को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्हें NRI प्रोफेसरों सहित पूरे भारत पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और देखना चाहिए कि उनके विश्वविद्यालय भारतीय धन और सस्ते में उपलब्ध NRI (भारतीय) प्रोफेसरों के बिना कैसे चल सकते हैं।
प्रो. सुदेश कुमार
Australian universities allege that most students from these states move to work and get settled there by hook or by crook! Thankfully Delhi being the capital has been spared from the ban. They are not at all interested in class room based academic education. After all it is not a academic education in true sense but a way of trade. And all these things are true to a large extent. People buy such education to settle in rich countries but this is the face of middle class poverty in other forms. Australia should not do politics on this. They should ban whole of India including NRI professors and see how their universities can sustain without Indian money and cheaply available NRI (Indian) professors.
Prof Sudesh Kumar