लॉकडाउन इंडिया की एक झलक!

 - वीगन सुदेश

 भारत ने मार्च 2020 के बीच महामारी की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक पूर्ण लॉकडाउन शुरू कर दिया था, जो अभी भी काफी हद तक जारी है। लॉकडाउन के इस लंबे दौर ने पूरे देश में बेहद प्रतिबंधित माहौल बना दिया है, जिसे सही शब्दों में हम लॉकडाउन इंडिया कह सकते हैं। लॉकडाउन इंडिया में तर्कसंगत होने का मेरा पहला सुझाव यह है कि कृपया सरकार और भगवान के अस्तित्व पर सवाल उठाना बंद करें।कोरोना काल में डेढ़ साल से भी ज्यादा लम्बे लॉकडाउन के बाद सरकार के निकम्मेपन की बात यदि छोड़ दें तो शायद आप सोचते होंगे कि इकोनॉमी ने हमें डुबाया या तो हमलोगों ने इकोनॉमी को डूबा दिया। यहाँ मैं आपके साथ इस विषय पर अपने विचार शेयर कर रहा हूँ। ये मेरे यूट्यूब चैनल vegansudesh पर भी उपलब्ध है। 

भारत की विशाल अर्थव्यवस्था के बंद होने और 4G दुनिया में महामारी के दौरान लोगों के दर्द को कई गुना बढ़ाने वाली सरकार की अक्षमताओं को इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा। भविष्य में इसके बारे में बात करना कितना भी कड़वा क्यों न लगे, लेकिन आजकल हम में से अधिकांश के लिए यही सच्चाई है। इसका कारण चाहे जो भी हो, हम में से अधिकांश लोगों को कम उम्र से ही अपने आर्थिक-स्तर को बेहतर बनाने के लिए अपनी भावनाओं को दबाना सिखाया जाता है। इसके कारण हमारे मन में खुद के प्रति एक गहरा अविश्वास पैदा होता है। लॉकडाउन में बने हालात   हमारा ध्यान इस बात पर खीचतें है कि जब आप दूसरों के बनाए नियमों से नहीं बच पाते हैं तो आपकी जिंदगी एक कठपुतली समान बन कर रह जाती है।

कोविड काल में एक बड़े स्तर पर सोशल लाइफ का डिजिटलाईजेशन हमलोगों को मानसिक रूप से आक्रामक बना रहा है। स्मार्टफोन पर वायरल होते कंटेंट्स लोगों की जिंदगी में दिशा और दशा तय कर रहें हैं। सालों से लॉकडाउन के कारण स्मार्टफोन में डूबी दुनिया मानसिक विकारों का शिकार बन रही है। इसके कारण बहुत सारे घरों में सुख-शांति समाप्त हो रही है और कुछ तो पथभ्रष्ट हो कर साइबर क्राइम की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जो कि हमारे देश की विशाल आबादी के लिए जहर है।

सोशल मीडिया शायद आपको साइलेंट न नज़र आये पर यहां हर सेल्फी के पीछे हमेशा बहुत कुछ छिपा होता है। जैसे कि डर, मायूसी, बेरोज़गारी, अकेलापन, डिप्रेशन, लत, कर्ज का दर्द, परिवार में पसरे दुखों का दरिया, कम्पटीशन की दौड़ में रिजेक्शन इत्यादि। इसके बाद फिर किसी बीमारी के कारण एक अस्पताल के ICU में एडमिट होना, ये सब कुछ हमलोगों को एक करुणामयी जीवन के साथ पारस्परिक देखभाल और अंतर-निर्भरता की ओर ले जाते हैं। इस अंतर-निर्भरता के साथ किसी भी रिश्ते में एक व्यक्तित्व के साथ का जुड़ाव, हमारे जीवन को समृद्ध करता है। यह हमें दूसरों के जीवन को भी समृद्ध करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

हमलोग स्वभाव से सामाजिक हैं और रिश्तों में अर्थ ग्रहण करते हैं। नौकरी, व्यवसाय अथवा करियर एक रबड़ की गुलेल जैसे हैं जिसके साथ रिस्क लेना आपको आर्थिक रूप से जीत या हार की ओर ले जाता है। लेकिन रिलेशनशिप, परिवार, स्वास्थ्य, दोस्ती, अतंरआत्मा कांच के बने होते हैं, जिसके टूटने से आवाजें सभी टुकड़ों से आती है।  

2020s की इस महान डिजिटल क्रांति के साथ हमें अब उस दुनिया की कल्पना करनी चाहिए जहाँ हम अब सिस्टम द्वारा नियंत्रित नहीं होंगे। कोई आर्थिक असुरक्षा का डर हमारे अंदर नहीं होगा। जहां हम सभी एक जागृत अवस्था में जीवन व्यतीत कर पायेंगे। यह महसूस करने के लिए स्वतंत्र होंगे कि हम कौन हैं और आत्माभिव्यक्ति के लिए हर बार हमें अपने दिमाग का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।

- वीगन सुदेश

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