किसे कहते हैं 'ब्रह्ममुहूर्त?
ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। 24 घंटे में 30 मुहूर्त होते हैं। 30 मुहूर्त में 8 प्रहर होते हैं। ब्रह्ममुहूर्त रात्रि का चौथा प्रहर होता है। चौथा प्रहर उषा नाम से है।
आठ प्रहर के नाम.....
दिन के चार .....
1. पूर्वान्ह,
2. मध्यान्ह,
3. अपरान्ह
4. सायंकाल।
रात्रि के चार.....
1. प्रदोष
2. निशिथ
3. त्रियामा
4. उषा।
सूर्योदय के पूर्व के प्रहर में दो मुहूर्त होते हैं। उनमें से पहले मुहूर्त को ब्रह्ममुहूर्त कहते हैं। दिन-रात का 30वां भाग मुहूर्त कहलाता है अर्थात 48 मिनट का कालखंड मुहूर्त कहलाता है। हमारी घड़ी के अनुसार प्रात: 4.24 am - 5.12 am का समय ब्रह्ममुहूर्त है।
ब्रह्ममुहूर्त में क्या करें.....
ब्रह्ममुहूर्त में 4 कार्यों में से कोई एक कार्य करें:
1. ध्यान
2. प्रार्थना
3. अध्ययन
4. वंदन
ब्रह्ममुहूर्त में क्या न करें....
नकारात्मक विचार, बहस, वार्तालाप, संभोग, नींद, भोजन, यात्रा, किसी भी प्रकार का शोर आदि।
ब्रह्ममुहूर्त में उठने का वैज्ञानिक महत्व....
इसी समय वायुमंडल में ऑक्सीजन (प्राणवायु) की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है। शुद्ध वायु मिलने से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है, क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है।
सुबह ऑक्सिजन का लेवल ज्यादा होता है तो मस्तिष्क को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है जिसके चलते अध्ययन बातें स्मृति कोष में आसानी से चली जाती है।
वीगन सुदेश