हर किसी को यह पता लगाना बहुत जरूरी है कि उनके लिए क्या खाना-पीना सही है और यह सभी के लिए थोड़ा अलग हो सकता है। इन्टरनेट युग के पहले ये कार्य आम तौर पर हमलोगों के परिवार और समाज करते थे जो कि ज्यादातर धार्मिक आस्थाओं से प्रेरित होता था।
भोजन करने के ढंग औऱ विधि हमलोगों के पारंपरिक मान्यताओं को दर्शाता हैं। सभी धर्मों में खाने को लेकर नियम बनाये गए हैं। इसलिए दिन में प्रत्येक बार खाने के पहले लोग अपने इष्ट देवताओं का स्मरण करते हैं और खुद को याद दिलाते हैं कि वो अपने जीवन को कितना महत्व देते हैं। पर ये बात सार्थक तभी मानी जा सकती है जब हम सभी लोग अन्य प्राणियों के जीवन को भी महत्व दें और उन्हें अपना आहार ना बनाये।
It is very important for everyone to find out what is right for them to eat and drink. It may be a little different for everyone. Before the Internet era, these things were mostly managed by our family and society, which was inspired by some sorts of religious beliefs.
Meals and methods of eating reflect our traditional beliefs. The certain rules have been made about food in all religions. Therefore, before every meal in the day or night, many of us, pray to God and remind itself that, how much you give importance to lives. But this thing can be considered meaningful only when you also give importance to the lives of other beings and do not make them a part of your diet.
सुदेश कुमार
Sudesh Kumar