शादी स्कीम के माध्यम से लड़कियों‬ को सस्ते लेबर की तलाश में फांसा जाता था।


90 के दशक में जब ‪#‎भारतीय‬ ‪#‎अर्थव्यवस्था‬ के ‪#‎उदारीकरण‬ की शुरुआत हुई थी, उस समय तमिलनाडु (इरोड जिला) में कपड़ा मिलों द्वारा 'शादी स्कीम' के माध्यम से हजारों ‪#‎लड़कियों‬ और ‪#‎महिलाओं‬ को सस्ते लेबर की तलाश में फांसा जाता था। 

'‪#‎शादी‬ स्कीम' के तहत ‪#‎गरीब‬, ‪#‎अनपढ़‬ और ‪#‎दलित‬ ‪#‎हिन्दू‬ ‪#‎जाति‬ जैसे अरुंथाथियार की ‪#‎युवतियों‬ को टारगेट किया जाता था। इस स्कीम के तहत 3 साल की अवधि समाप्त होने पर एकमुश्त रकम का भुगतान किया जाता था। अपनी ‪#‎बेटियों‬ की शादी करने वाले ‪#‎परिवार‬ के बीच ‪#‎दहेज‬ जुटाने के लिए इस स्कीम को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।

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