छठ (पूजा): रिचुअल और राजनीति



इतिहास -

असल में तथाकथित छठ माता, महाभारत के एक चरित्र कुंती की प्रतीक है, जो कुंवारी होते हुये भी सूरज से बच्चा पैदा करने की गुजारिश करती है तथा सूरज की तेज (दैविक शक्ति) से कर्ण नाम का पुत्र पैदा करती है। इसी घटना को इस दिन छठ रिचुअल के द्वारा मंचित किया जाता है।

छठ रिचुअल -

छठ शुद्धिकरण औऱ लंबे उपवास के लिए जाना जाता है। शुरू में इसे केवल वो औरतें मनाती थी जिनको बच्चा नहीं होता था, कुंवारी लड़कियां नहीं मना सकती थीं क्योंकि इसमे औरत को ऐसे पतली साड़ी पहननी पड़ती है जो पानी में भीगने पर शरीर से चिपक जाय तथा पूरा शरीर सूरज को दिखायी दे, जिससे कि आसानी से कुंती- रिचुअल (क्रियापद्धति) हो सके। सूरज को औरतों द्वारा अर्घ देना उसको अपने पास बुलाने की प्रक्रिया है। 

छठ पूजा -

समय के साथ-साथ इससे जुड़े धारणाएं बढ़ते गए और कुंती-रिचुअल को लोग सुख-समृद्धि की पूजा समझने लगे और इसको त्योहार का रुप दे दिया गया आजकल धार्मिक अंधविश्वासी पुरषों तथा कुंवारी लड़कियां के भीड़ भी इसमें शामिल हो गये हैं।


राजनीति -

छठ पूजा की सच्चाई जाने बिना बहुत सारे लोग इसे धूम-धूमधाम से मनाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से धीरे-धीरे वोटबैंक और तुस्टीकरण की राजनीति के लिए पूरे देश में इसे फैलाया जा रहा है। पोलिटिकल पार्टिओं ने दिल्ली-मुम्बई-कोलकाता से लेकर उन सभी छोटे-बड़े शहरों में इसे भुनाने की कोशिश की है, जहां-कहीं प्रवासी बिहारी बसें हैं। भारत में ईद के बाद ये दूसरा सबसे बड़ा तुस्टीकरण त्योहार बन गया है।

सुदेश कुमार

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